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दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

दीवाली के मौके पर इस दिन से जुड़ी कुछ महान कथाएं।

श्री राम के वनवास से अयोध्या लौटने की ख़ुशी में :-

यह वो कहानी और करण है जो लगभग सभी भारतीय को पता है कि हम दिवाली श्री राम जी के वनवास से लौटने की ख़ुशी में मनाते हैं। मंथरा के गलत विचारों से पीड़ित हो कर भरत की माता कैकई श्री राम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनवद्ध कर देते हैं। ऐसे में श्री राम अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ते हैं। वहीँ वन में रावण माता सीता को छल से अपहरण कर लेता है।

तब श्री राम सुग्रीव के वानर सेना और प्रभु हनुमान के साथ मिल कर रावण की सेना को परास्त करते हैं और श्री राम रावण का वध करके सीता माता को छुड़ा लाते हैं। उस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है और जब श्री राम अपने घर अयोध्या लौटते हैं तो पूरे राज्य के लोग उनके आने के ख़ुशी में रात्री के समय दीप जलाते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। तब से उस दिन का नाम दीपावली के नाम से जाना जाता है।

पांडवों का अपने राज्य में लौटना

आप ने महाभारत की कहानी तो सुनी ही होगी। कौरवों ने, शकुनी मामा के चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था और यहाँ तक की उन्हें राज्य छोड़ कर 13 वर्ष के लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमावस्या को वो 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) अपने 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने के ख़ुशी में उनके राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियाँ मनाया। यह भी दीपावली मनाने का एक बहुत ही मुख्य कारण है।

राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना है। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था।

माता लक्ष्मी का अवतार

हर बार दीपावली का त्यौहार हिन्दी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के “अमावस्या” के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसीलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करतें हैं।

6वें सिख गुरु की आजादी

इस त्यौहार को सिख समुदाय के लोग भी मनाते हैं अपने 6वें गुरु श्री हरगोविंद जी के ग्वालियर जेल से मुक्त होने पर जो मुग़ल सम्राट जहाँगीर की कैद में थे।

इसी दिन भगवान् श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षश का संहार किया था

दीपावली का त्यौहार मनाने के पीछे एक और सबसे बड़ी कहानी है की इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर(जो की आज दक्षिण नेपाल एक प्रान्त है) का राजा था। नरकासुर इतना क्रूर था की उसने देवमाता अदिति के शानदार बालियों तक को छीन लिया। देवमाता अदिति श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की सम्बन्धी थी। नरकासुर ने कुल सोलह भगवान की कन्याओं को बंधित कर के रखा था। श्री कृष्ण की मदद से, सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया और सभी देवी कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ाया। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।

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राष्ट्र हित का गला घोंट कर, छेद न करना थाली में

मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में

देश के धन को देश में रखना, नहीं बहाना नाली में।

मिट्टी वाले दिये जलाना, अबकी बार दीवाली में…..

बने जो अपनी मिटटी से वो दिये बिकें बाज़ारों में

छुपी है वैज्ञानिकता अपने सभी तीज त्योहारों में

चायनीज झालर से आकर्षित कीट पतंगे आतें हैं

जबकि दिये में जलकर बरसाती कीड़े मर जातें हैं

कार्तिक दीपदान से बदलें पितृ-दोष खुशहाली में

मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में ………

कार्तिक की अमावस वाली रात ना अबकी काली हो

दिए बनाने वालों की भी खुशियों भरी दिवाली हो

अपने देश का पैसा जाये अपने भाई की झोली में

गया जो दुश्मन देश में पैसा , लगेगा रायफल गोली में

देश की सीमा रहे सुरक्षित, चूक न हो रखवाली में

मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दिवाली में .

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